अलाउद्दीन का चिराग। Alauddin ka Chirag short story in Hindi

बहुत साल पहले अरब में एक गरीब लड़का रहता था, जिसका नाम अलाउद्दीन था। वह छोटे से घर में अपने मां के साथ रहता था। उसके पिता का देहांत हो गया था।

अलाउद्दीन बहुत आलसी था और कोई भी काम नहीं करता था। पूरे दिन में बच्चों के साथ खेलता रहता था। एक दिन एक आदमी आया और अलाउद्दीन से कहा बेटा मैं तुम्हारा चाचा हूं। तुम मुझे अपने घर ले चलो, अलाउद्दीन ने उसे अपने घर ले गया। अलाउद्दीन ने अपने मां से कहा मां देखो चाचा आए हैं, लेकिन वह व्यक्ति उसका चाचा नहीं था। वह एक दुष्ट जादूगर था। जादूगर ने अलाउद्दीन को एक पहाड़ी इलाके में ले गया, और एक पहाड़ के नीचे अपने जादू का प्रयोग करके पहाड़ के नीचे एक बड़ा सा गुफा बना दिया।
अल्लादीन काफी डरा हुआ था। जादूगर ने अपनी अंगूठी अलाउद्दीन को देते हुए कहा या अंगूठी रखो या तुम्हारे काम आएंगे और उसे उस गुफा में जाने को कहा, अलाउद्दीन ने उस गुफा में गया। वह अंदर पहुंच कर दंग रह गया,उसने देखा यहां बहुत सारे चीज पड़ा है सोना चांदी हीरे जवाहरात उसने दीवार के तरफ देखा तो वहां एक चिराग रखा था। दरअसल वह चिराग जादुई था। उसने चिराग को ले लिया और आते समय सोना चांदी भी ले लिया। जब वह गुफा के मुंह तक पहुंचा तो काफी थक गया था। उसने जादूगर को काम मुझे बाहर निकालो जादूगर ने चिराग मांगा, अलाउद्दीन का ऊपर आने के बाद दे दूंगा।

जादूगर को गुस्सा आ गया उसने जादू से गुफा के मुंह बंद कर दिया। गुफा में अंधेरा छा गया अलाउद्दीन रोने चिल्लाने लगा और अपने हाथ को मरने लगा, उसने जादूगर का दिया हुआ अंगूठी पहन  रखा था। उस अंगूठी से एक बदसूरत जिन निकला।

अलाउद्दीन और डर गया और जिन से पूछा तुम कौन हो, जिन ने कहा मैं इस अंगूठी का गुलाम हूं। जिसके पास या अंगूठी होगा मैं उसका गुलाम हूं। तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूं जी ने बोला।अलाउद्दीन ने कहा मुझे यहां से बाहर निकालो जिनमें गुफा का दरवाजा खोल दिया और अलाउद्दीन बाहर आ गया अलाउद्दीन ने जल्दी से अपने मां के पास चला गया।

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