एकता में बल।Force in unity. Short story in hindi

एक गांव में एक किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे। चारों पुत्र आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे।

किसान को यह सब अच्छा नहीं लगता था। वे अपने पुत्रों को समझाने की बहुत कोशिश करता फिर भी वे उसके बात नहीं मानते थे। 1 दिन किसान ने चारों पुत्रों को बुलाया और कहा, मेरे बेटे आपस में लड़ते झगड़ते रहोगे तो सब लोग तुमको दबा देंगे और तुम एक दूसरे को बचा नहीं पाओगे मैं तुम्हें अच्छे से समझाता हूं।
किसान ने सबको एक-एक लकड़ी की छड़ी दी और कहा इसको तोड़ो, सब ने बड़े ही आसानी से लकड़ी के छड़ी को तोड़ दी, इसके बाद उसने एक लकड़ी का गट्ठर अपने पुत्रों को  दिया और कहा तुम सब मिलकर इस लकड़ी के गट्ठर को तोड़ो सब ने एक साथ मिलकर लकड़ी के गट्ठर  को तोड़ा, लेकिन लकड़ी का गट्ठर नहीं टूटा।

किसान ने कहा देखो मेरे बेटे जब लकड़ी की एक छड़ी थी तो तुमने बड़ी ही आसानी से तोड़ डाली, लेकिन यह लकड़ी का गट्ठर को तुम नहीं तोड़ पाए, इससे हमें यह पता चलता है कि जहां एकता होती है उसे कोई भी नहीं तोड़ पाता। और उसे तोड़ना आसान नहीं होता,अगर तुम चारों भाई एक साथ मिलजुल कर रहोगे तो तुम्हें कोई भी हरा नहीं सकता इसीलिए तो एकता में बल है।

किसान के पुत्रों को समझ आ गया और वह आपस में मिलजुल गए और खुशी से जिंदगी गुजारने लगे।

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