होली का परिचय:
होली हिंदुओं का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। जिसका नाम सुनते ही कन कन में बिजली दौड़ पड़ती है। नस नस में लालसा की लहर उठने लगती है। उसी का नाम होली है यह फागुन के महीने में पड़ता है। होली से शरद ऋतु खत्म होती है तथा वसंत ऋतु शुरू होती है, होली 2 दिन मनाया जाता है।
होली क्यों मनाया जाता है?
होली से संबंध अनेक पौराणिक कथाएं हैं। एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार प्रहलाद तथा राजा हिरण्यकशिपु के बारे में है। प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था, इसीलिए उसके पिता उसे मारना चाहते थे। प्रहलाद की बुआ, होलिका उसे मारने के लिए उसे लेकर आग में बैठ गई। उसके पास एक चादर था जिसे कोई और ले तो आप उसे नहीं जला सकता था,लेकिन विष्णु ने पहलाद को बचा लिया और होलिका मारी गई।
उस दिन भक्तों की विजय हुई और राक्षस की पराजय इसी को याद करने के लिए होली से 1 दिन पहले शाम को होलिका दहन किया जाता है, और कल होकर होली मनाया जाता है।
होली कैसे मनाया जाता है?
जितनी धूमधाम से मनाया जाता है। उतना कहीं भी नहीं मनाया जाता है। यह दरअसल रंगो का त्यौहार है, लोग एक-दूसरे को रंग तथा गुलाल लगाते हैं, गलियों में सुनहरी रंगों से पिचकारी ओ का छिड़काव होता है। भारतवर्ष के कोने कोने में यह पर्व मनाया जाता है। इसमें सभी लोग भाग लेते हैं, लड़का लड़की पुरुष स्त्री तथा वृद्ध भी भाग लेते हैं। छोटे बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। प्रत्येक व्यक्ति होली को प्यार से बनाता है। होली के इस पर्व के दिन विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट वस्तुएं बनाई जाती है, होली का पुआ सभी घरों में बनाया जाता है।
लोग एक दूसरे के यहां जाकर खुशियां मनाते हैं और खाते पीते हैं सब लोग इस अवसर पर नए कपड़े पहनते हैं और शाम के समय होली गागा कर झूम उठते हैं। लेकिन कुछ अबोध लोगों ने इससे मजाक बना दिया है। वह राह चलते लोगों के ऊपर पत्थर मारते हैं और ढेले बरसाते हैं और गाली गलौज करते हैं जो कि यह बहुत बुरी चीज है। हम सबको इस चीज से बचना चाहिए और प्यार के साथ होली मनाने चाहिए।
होली हमें कैसे मनाना चाहिए?
होली एक प्रसिद्ध त्योहार है। इसे अच्छे से और प्रेम के साथ मनाना चाहिए। किसी के साथ गलत नहीं करना चाहिए और नशा के साथ नहीं मनाना चाहिए। प्रेम और भाईचारा के साथ इसे मनाना चाहिए।