Non Hindi 10th Class । विक्रमशिला।vikaramshila।md Usman Gani

 


पाठ का नाम- विक्रमशिला

लेखक का नाम। पा०पु०वि०स० 

पाठ का सारांश

 विक्रमशिला महान खगोल शास्त्री आर्यभट्ट एवं तिब्बत में बौद्ध धर्म तथा लामा संप्रदाय के संस्थापक अतीश दीपंकर की विश्व स्थली विक्रमशिला प्राचीन भारत को ज्ञान विद्या के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ तथा प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय में से एक था।

     बिहार राज्य के भागलपुर जिला में कहलगांव के पास अनंचीतक गांव में इसकी स्थापना आठवीं सदी के मध्य पल्लव वंश के प्रतापी राजा धर्मपाल ने किया था जो बौद्धिक शक्ति प्रदान स्थली होने के कारण अंतरराष्ट्रीय क्षितीज पर चमकने लगा।

     अपनी  आचार्य विक्रम पूर्णआचरण के कारण तथा अखंड अश्लील संपन्नता के कारण ही इस विश्वविद्यालय का नाम विक्रमशिला पड़ा। यहां भी किंवदंती है कि विक्रम नामक यक्ष को दमन कर इस स्थान को बिहार के लायक बनाया गया।

 इस प्रसंग में छह महा विद्यालय प्रत्येक महाविद्यालय के गेट पर द्वार पंडित नियुक्त थे। जब वह तंत्र योग न्याय काव्य और व्याकरण में पारंगत थे। मैं महाविद्यालय में दाखिला पाने के पूर्व महाविद्यालय के द्वार पर ही मौखिक परीक्षा लेते थे। जो छात्र द्वारा पंडितों के प्रश्नों का उत्तर दे देते वही विक्रमशिला विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में दाखिला पाते थे।

  इस विश्वविद्यालय में समृद्ध पुस्तकालय जहां तंत्र तर्क दर्शन और बौद्ध दर्शन से संबंधित ग्रंथों का विशाल संग्रह मौजूद था। अधिकृत आचार्य और शोधार्थी द्वारा पांडुलिपियों को तैयार किया जाता था। राजा गोपाल के समय अष्ट शासिका प्रज्ञा परमिता नामक प्रसिद्ध ग्रंथ यही तैयार किया गया था जो आज भी ब्रिटिश म्यूजियम लंदन में धरोहर रूप में रखा हुआ है।

  यहां धन सील धैर्य वीर्य ध्यान पाज्ञा कौशल्य प्राणी धान बल एवं ज्ञान 10 परिमिताओ में पारंगत करवा कर छात्र को महामानव बना दिया जाता था। 10वीं 11वीं सदी तकिया पूर्वी एशिया महादेश का ज्ञान दान का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका था।

  छात्रों के लिए प्रथम वर्ग में भिक्षु वर्ग था। यहां का छात्र बन जाना है गौरव की बात मानी जाती थी। देश-विदेश में राजा महाराजाओं से यहां के ही छात्र सम्मान पुरस्कार का हकदार बन जाते थे।

   यहां तंत्र व्याकरण न्याय सृष्टि विज्ञान, शब्द विद्या शिल्प विद्या चिकित्सा विद्या साइंस वैशेषिक आत्मविद्या विज्ञान जादू एवं चमत्कार विद्या इस विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित थे। अध्यापन का माध्यम संस्कृत भाषा थे।

   13 वी सदी के आरंभ में तुर्कों के आक्रमण के कारण इस विश्वविद्यालय का विनाश हो गया। तुर्को ने इसे भरम वंश किसी का अकेला मानकर इसे तहस-नहस कर दिया था। यह बात तबकाते नासिरी नामक ग्रंथ में सम्यक रूप से वर्णित है।

   वर्तमान सरकार की सकारात्मक सोच और पुरातात्विक विभाग के प्रयास से गुमनाम यह विश्वविद्यालय पुणे सुर्खियों में आ रहा है।

खुदाई के 50 फीट ऊंची एवं 73 फीट चौड़ी इमारत के रूप में चैत्य प्राप्त हुए हैं। भूमि स्पर्श की मुद्रा में साढे 4 फीट की भगवान बुद्ध की मूर्ति पद्मासन पर बैठे और लोकगीते सूअर की का संग प्रतिमा पदमपाणि, मैत्रीय की प्रतिमा तथा क्षतिग्रस्त कुछ सिले उपलब्ध हुए हैं। शैक्षणिक परिभ्रमण के दृष्टिकोण से यह स्थान दर्शनीय एवं ज्ञानवर्धक है।

                             ‌ प्रश्न अभ्यास 

विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में जन श्रीति क्या है?

उत्तर-विक्रमशिला नाम अकरम के संदर्भ में जनश्रुति है कि विक्रम नामक यक्ष का दमन कर यहां बहार बनाया गया। जिसके कारण इस भूभाग का नाम विक्रमशिला रखा गया।

विक्रमशिला कहां अवस्थित है?

उत्तर-विक्रमशिला बिहार राज्य के भागलपुर जिला में कहल गांव के पास , अंचितक गांव में अवस्थित है।

यहां के पाठ्यक्रम में क्या क्या शामिल था?

उत्तर -यहां के पाठ्यक्रम में तंत्र शास्त्र व्याकरण न्याय सृष्टि विज्ञान शब्द विद्या शिल्प विद्या चिकित्सा विद्या सांख्य वैशेषिक आध्यात्मिक विद्या विज्ञान जादू एवं चमत्कार विद्या शामिल थे

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