हेलो दोस्तों स्वागत है आपका मेरे इस वेबसाइट पर मैं एमडी उस्मान गनी स्वागत करता हूं आपका। आज मैं एक नया टॉपिक आपके लिए लेकर आया हूं एग्जाम के लिए काफी आवश्यक है आज मैं बात करने जा रहा हूं भारतीय किसानों के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं पोस्ट को।
परिचय:
भारत: कृषि प्रधान देश -भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और आज भी है कृषि और किसान भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग है। किसान तो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे उत्पादन करते हैं और 1 अरब से अधिक मानवों का प्रति पालन भी करते हैं।
किसान का जीवन: -
सारे देश को खिलाने वाले किसान खुद भरपेट भोजन नहीं कर पाते। दूसरों के शरीर को ढकने के लिए कपास तथा जूट उत्पादन करने वाले खुद नंगे रहते हैं। किसानों का जीवन कठिन परिश्रम तथा कठोर साधना का जीवन है। जाड़े की रात ग्रीष्म के दोपहरी तथा तूफानी बरसात में भी अपने खेतों की मेड़ पर रहते हैं। खेती उनकी हवनशाला है, जिसमें वे अपने शरीर का ही हवन किया करते हैं। खेत ही उनका मंदिर मस्जिद गुरुद्वार है। इतनी मेहनत इतनी परेशानी इतनी उलझन के बाद भी वे अपनी तथा अपने परिवार की आवश्यकताएं पूरी नहीं कर पाते।
भारतीय कृषि और किसान:-
यदि कृषक ही भूखे रहे तो राष्ट्र की प्रगति की कल्पना अर्थहीन है। किसानों की गरीबी के अनेक कारण हैं। भारत की कुल आबादी के 70% लोग कृषि पर निर्भर है, उद्योग पर नहीं। इसीलिए उनकी आय कम है और वह गरीब है। विदेशी पर भूतों के कारण परंपरागत उद्योग धंधे एवं कुटीर उद्योग भी नष्ट हो गए हैं। कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय नहीं किए गए। शिक्षा व्यवसायिक शिक्षा रोजगारमुखी शिक्षा एवं पूंजी के अभाव के कारण भी बेकारी बड़ी और बेकारी से गरीबी बढ़ी है। जनसंख्या की वृद्धि ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
वर्तमान स्थिति -
भारतीय कृषि को की दयनीय स्थिति तथा उनके गिरे जीवन स्तर को देखकर जिसे तरस नहीं आएगा? इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमत्री रामजी मैकडोनाल्ड ने भारत की गरीबी का करून चित्रण इन शब्दों में किया था, भारत गरीबों का देश है जिधर देखिए हड्डियों के कंकाल ही देखते हैं। भारत की गरीबी केवल कहने की वस्तु नहीं वरन एक वास्तविकता है।
निष्कर्ष: -
किसानों की गरीबी दूर किए बिना देश को गरीबी के दुष्चक्र से बचाया नहीं जा सकता।
दोस्तों आशा करता हूं कि आज का पोस्ट आपको बहुत अच्छा लगा होगा पोस्ट पढ़ने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।