Non Hindi Class 10th। lesson 15। दीनबंधु निराला। By Md Usman Gani

 

हेलो दोस्तों आज का पोस्ट बड़ा ही दमदार है आज मैं बताने जा रहा हूं नन हिंदी कक्षा 10th के 15 वा चैप्टर जो है दीनबंधु निराला। दीनबंधु निराला जीवनी है आज हम लोग इसे पढ़ने वाले हैं तो देखते हैं क्या है पाठ का सारांश।

पाठ का विद्या:-जीवनी

पाठ का नाम:-दीनबंधु निराला

लेखक का नाम: -आचार्य शिवपूजन सहाय।

                             पाठ का सारांश 

आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित कवि श्री सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को दीनबंधु निराला कहा जाता है। सचमुच में दीनबंधु थे। दीन दुखियों पीड़ितों के साथ बंधुत्व की भावना रखने वाला उसका यथोचित सेवा सहायता करने वाला ही दिन बंधु कहला सकता है। महा कवि रहीम ने तो दीनबंधु को दिन बंधु भगवान कहां है। जो रहीम भी नहीं लक है दीनबंधु सम होय। निराला जी पर अक्षरश सही बैठता है। वेदी नो पीड़ितों को खोज खोज कर सेवा सहायता किया करते थे। भगवान ने आकर्षक व्यक्तित्व के साथ उदार मन भी निराला जी को प्रदान किया था। समय भोजन करने वक्त भी यदि कोई याचक आ जाता तो अपना भोजन अर्थ अभाव तो सदैव रहा है लेकिन जो कुछ भी आए होता उसे गरीबों में बांट कर उन्हें आनंद आता था।

 वे भले  पुराना कपड़ा पहने हो लेकिन निर्वस्त्र दिन को देख ही दे दिया करते थे। सहायता के कारण ही उनके घर में गद्दा आदि आरामदायक उपसकर नहीं खरीद पाए।

  परमात्मा ने उनकी मनोवृति और प्रवृत्ति समझकर ही कोलकाता के श्री रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ में सेवा के लिए नियुक्त किया था।

  था नियुक्त तथा कर्मी के कथन को पूर्णता पालन किया करते थे। वर्ष वेल्लूर मठ में पर हम अंश जी तथा विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर दिन बंधुओं के भोजन कराने वह पूर्णता दीनबंधु दिखते थे। बड़े लगन और प्रेम से दिनों को भोजन कराते देख सब लोग उन पर मुग्ध हो जाते थे। निराला जी की मातृभाषा हिंदी थी लेकिन बंगाली भाषा भी मातृभाषा के समान ही बोलते थे जिसके कारण बंगाली लोग उन्हें बंगाली समाज का ही आदमी मान उनसे रविंद्र रविंद्र नाथ के गीत सुनकर प्रसन्न हो जाते थे।

  धन्य थे निराला जी साहित्य जगत में उनके जैसा विशिष्ट गुण वाले और आचरण वाले कवि या लेखक नहीं दिखते।

जिस व्यक्ति में अन्य लोगों से विशिष्ट गुण ही वैसे लोगों का स्मरण करना ईश्वर की दी गई वाणी को सार्थक करना है।

                                अभ्यास प्रश्न 

Q1 निराला को दीनबंधु क्यों कहा गया है?
 उत्तर: -

  निराला जी सदैव दीन दुखियों की सेवा में तत्पर रहा करते थे। गरीबों को संयोजन की तरह स्नेह पूर्वक मदद करना उनको प्राकृतिक ओर से प्राप्त था। लंगड़े लूले अंधे अपाहिज लोगों को अन्य वस्त्र देकर संतुष्ट कर देना उनका स्वभाव था। लोग उन्हें दीनबंधु कहकर पुकारते थे। जो व्यक्ति दिन दुखियो पीड़ितों के पास जा जाकर मदद करता है उन्हें दीनबंधु कहा गया है।

Q2 निराला संबंधित बातें लोगों को अतिरंजित क्यों जान पड़ती है?

उत्तर: -

  याचाको के लिए कल्पतरू होना मित्रों के लिए मुक्त हस्त दोस्त परस होना

 मित्रों और अतिथियों के स्वागत सत्कार में अद्वितीय हौसला दिखाने वाले लंगड़े लूले अंधे दिन जनों को खोज खोज कर मदद करने वाले गुणों का होना आसान नहीं है। अपनी लोग तो बहुत होते हैं लेकिन निराला जिस भाव से मदद दिनों को करते थे वह आम लोगों को अतिरंजित करने वाला ही है।

हेलो दोस्तों आज का पोस्ट कैसा लगा आपको हमें जरूर बताएं आशा करता हूं कि आज का पोस्ट आपको बहुत जबरदस्त लगा होगा आज हम लोगों ने हिंदी का 15 वा चैप्टर कंप्लीट कर लिया है तो चलिए फिर अगले टॉपिक्स में मिलते हैं। पढ़ने के लिए शुक्रिया शुक्रिया।




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