हेलो दोस्तों स्वागत है आपका मेरे वेबसाइट पर चलिए आज मैं बताने जा रहा हूं स्त्री शिक्षा के ऊपर स्त्री शिक्षा आज का टॉपिक बहुत ही दमदार है आशा करता हूं आप बड़े अच्छे से इन्हें पड़ेंगे तो चलिए देर किस बात की शुरू करते हैं।
परिचय:
लगभग आधी आबादी स्त्रियों की है। लेकिन उनके मध्य शिक्षा का प्रसार पर्याप्त नहीं हो सका है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में देहाती क्षेत्रों की महिलाएं अभी भी शिक्षा का प्रकाश नहीं देख सकी हैं। अतः स्त्री शिक्षा की आवश्यकता एवं उपयोगिता बढ़ गई है। एक स्त्री शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। एक स्त्री शिक्षित होती है तो पूरा समाज एवं देश शिक्षित होता है।
मां भी बेटी भी दोनों रूप में :-
स्त्री के कई रूप देखे जाते हैं, मां भी और बेटी भी। मां पढ़ी-लिखी होती है तो परिवारिक समायोजन सुंदर होता है। मां यदि अनपढ़ है तो वह बच्चों को उच्च शिक्षा देने में अपने को असमर्थ पाती है। बेटी यदि शिक्षित नहीं है तो उसकी शादी भी अनपढ़ अशिक्षित परिवार में हो जाती है। वह नए परिवार से अनुकूल सामान्य से नहीं बैठा पाती। पढ़ी-लिखी मां बेटियां दवाओं की शीशी पढ़कर दवा दे सकती हैं। अनपढ़ स्त्रिया दवाओं के नाम नहीं पढ़ पाती हैं। स्त्री शिक्षा की आवश्यकता आज आधुनिक युग में बढ़ गई है।
क्या है कारण?
एवं व्यवहार में सुधार लाती है। शिक्षा संबंधित से सिखलाती है। शिक्षा बौद्धिक मानसिक शारीरिक उन्नयन करती है। अतः स्त्री शिक्षा आवश्यक है। स्त्री शिक्षा के पिछड़ेपन का कारण हमारा स्त्री के प्रति दृष्टिकोण भी रहा है। हमारा पुरुष प्रधान समाज भी इसके लिए दोषी है। स्त्री को उपभोग की वस्तु माना जाता है यह गलत अवधारणा है। स्त्री को बच्चा पैदा करने की एक मशीन मात्र समझा जाता है जो कि गलत है। पुरुष स्वतंत्र हो और स्त्री गुलाम यह गैर बराबरी की भावना भी स्त्री शिक्षा के पिछड़ेपन का कारण है। भारत की गरीबी भी स्त्री शिक्षा की कमी का एक कारण है।
समानाधिकार:
पुरुष एवं स्त्री को समाज एवं परिवार में समान अधिकार मिलना चाहिए। स्त्री घर में रहे और पुरुष बाहर या भी असंतुलन नहीं चल सकता। पुरुष मर जाए तो स्त्री विधवा जीवन व्यतीत करें या अभी नहीं चल सकता। पुरुष पढ़े लिखे और स्त्री घर में छोड़ती पर छोड़ती रहे या नहीं हो सकता दोनों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
सही दिशा: -
स्त्री शिक्षा के लिए पुरुषों को ध्यान देना होगा। स्त्रियों को स्वय सक्षरता के महत्व को समझना होगा। हर उम्र की स्त्री को पढ़ना लिखना होगा। ऐसा बदलाव होने पर ही हिंदुस्तान की प्रगति धोन रफ्तार से हो सकेगी। यदि स्त्री पुरुष दोनों काम आए तो परिवार की अच्छी और सुख में प्रगति हो सकेगी।
उपसंहार:-
हम कह सकते हैं कि स्त्री शिक्षा से परिवार समाज और देश की तीव्र गति से उन्नति होगी। जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं हर सब जगह शांति विराज ने लगती हैं। इच्छा से आर्थिक विकास भी होता है।
उम्मीद करता हूं आज का पोस्ट आपको काफी पसंद आया होगा। और आप समझ ही गए होंगे। पोस्ट पढ़ने के लिए शुक्रिया।