हमारा राष्ट्रीय झंडा
परिचय: -
हमारे देश में प्राचीन काल से ही राष्ट्रीय झंडा का प्रचलन रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में अनेक प्रकार के झंडों का उल्लेख मिलता है । रामायण और महाभारत काल में भी हमारे देश का झंडा विश्व के अनेक भागों में लहराता था। अशोक और समुद्रगुप्त का झंडा भारत के सीमा पार कर वृहद भारत में लहराया और महाराणा प्रताप एवं शिवाजी का झंडा सारे भारत का वंदनीय रहा।
हमारा राष्ट्रीय झंडा कैसा है?
तो हमारा राष्ट्रीय झंडा बहुत अच्छा है। संसार के जितने स्वतंत्र राष्ट्र है सबके अपने झंडे हैं। उनके के रंगों और प्रतीकों के आंकलन में बहुत अंतर है। आधुनिक भारत का भी अपना झंडा है। इसमें तीन रंग है, ऊपर केसरिया, मध्य में उजला और नीचे हरा। बिजली पट्टी में गाड़ी नीले रंग का अशोक चक्र बना हुआ है। लंबाई और चौड़ाई में तीन और दो का अनुपात है। इसकी बनावट अर्थ पूर्ण है। केसरिया रंग में वीरता और त्याग, सबूत में सत्य और पवित्रता तथा हरे से धरती की हरितिमा का भी तात्पर्य लिया गया है। अशोक चक्र में समानता और गति का भाव प्रकट होता है।
झंडा राष्ट्र का प्रतीक है।
राष्ट्रीय झंडा स्वतंत्र देश का सम्मान है और राष्ट्रीयता का गौरव चिन्ह भी है। राष्ट्रीय झंडे के फहराने के कुछ नियम हैं जिनका पालन हमें अवश्य करना चाहिए। पुराना या फोटो झंडा नहीं फहराना चाहिए, किंतु उसका अपमान भी नहीं होना चाहिए। उसे प्रेम और भक्ति के साथ लहराना चाहिए। राष्ट्रीय झंडे को जमीन पर बिछाना ठीक नहीं इसे गंदा करना उचित नहीं है। किसी के सम्मान में राष्ट्रीय झंडे को झुकाना मना है। राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर यह फहराया जना चाहिए। इन तिथियों को भी उसे सूर्यास्त के पहले उतार लिया जाना चाहिए। देशवा पर शक प्रकट करने के लिए झंडा आधा झुका दिया जाता है। जब राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए और ध्वज वंदना हो तो हमें स्थिर एवं सावधान खड़ा होना चाहिए।
हमारा राष्ट्रीय झंडा
हमारा यह राष्ट्रीय झंडा संपूर्ण राष्ट्रीय चेतना का मूर्त स्वरूप एवं राष्ट्र का मंगलदीप है।
तो दोस्तों आशा करता हूं कि आज के इस टॉपिक से आपने बहुत कुछ सीखा होगा और अपने देश के प्रति प्यार को बढ़ाया होगा मैं आशा करता हूं कि आप ऐसे ही किए होंगे और हम लोग सभी मिलकर के अपने देश को आगे बढ़ाने का प्रयत्न करते रहेंगे। और राष्ट्रीय झंडा को कभी झुकने ना देंगे।