पाठ का नाम:-ठेस
पाठ विद्या कहानी
लेखक का नाम:- फणीश्वर नाथ रेणु
पाठ का सारांश
सिरचन गांव का एक कुशल कारीगर है जिसने मोथे और पटेर की शीतल पार्टी बांस के कामाची से चेक सात रंग के डोरी से बूढ़े बूंद की रस्सी से बना भूसा रखने वाला जाल उसकी आसानी और ताल के पत्ते से छतरी बनाने में दूर-दराज तक प्रसिद्धि पा लिया है। लोग बड़े शौक से शीतल पार्टी और चेक बनवा कर अपने अपने सगे संबंधियों के यहां भेजते थे।
इतने कुशल कारीगर को लोग कामचोर यादगार मानकर आने काम में नहीं बुलाते थे। वह कामचोर नहीं था। वह अपने काम को बड़े ही तन्मयता से करता था। उसको मनपसंद भोजन और प्रेम भरी वाणी मिल जाता तो उसकी तन्मयता देखने बनती थी। यदि कोई बीच में दुख देता तो उसका काम पड़ा ही रह जाता। हां यदि एक बार उसे मनपसंद भोजन या पर्याप्त भोजन नहीं मिलता तो दूसरी बार वह वहां नहीं जाता और खुलकर अपनी व्यथा व्यंग भाषा में अवश्य बोल देता।
एक ब्राह्मण पंचानंद चौधरी के घर कम और पसंद के लायक भोजन नहीं मिलने पर सिर चने पंचानंद के छोटे बेटे से साफ साफ कह दिया कि तुम्हारी भाभी नाखून पर तरकारी परस्ती है तथा कोडी इमली देकर बनाती है जो हमारे जैसे कहार कुम्हारों को घरवाली बनाती है। तुम्हारी भाभी ने कहा सीख।
रेनू जी की मां जब कभी सिर्चन को बुलाने लगती तो रेनू जी मां से पूछते थे। भोग क्या-क्या लगेगा। लेकिन सिर्जन भोजन से ज्यादा प्रेम भरी वाणी का कायल था।
रेनू जी सिरचन को बुलाते हैं उनकी छोटी बहन की विदाई होने वाली है। दामाद जी ने चिट्ठी लिखकर कहा। बर्तन वासन मिले या ना मिले फैशन वाले 3 जोड़ी चिक और पटेल की शीतल पार्टी अवश्य होना चाहिए।
सिरचन आता है। मां कहीं सिरचन तुम्हें घी का खो-खो रन और जुड़ा पसंद है जिसे मैंने व्यवस्था कर रखा है । इस बार असली मोहर छाप वाली धोती भी दूंगी। ऐसा काम करो कि देखने वाले चकित रह जाए।
सिरचन अपना काम आरंभ करता है। रेनू जी की मजली भाभी पर्दे के भीतर से ही बोली । मोहर छाप वाली धोती से बढ़िया काम होता है। ऐसा जानती तो भैया को भी खबर कर देती। सिरचन मजली भाभी की बात सुनते ही बोल उठा,, मोहर छाप वाले धोती के साथ रेशम का कुर्ता भी देने पर भी ऐसी चीज नहीं बनती।
सिरचन को दूसरे दिन चूड़ा और गुड़ खाने को मिला। श्री चंद छुआ तक नहीं। यह देखकर रेनू जी कहते हैं आज सिर्फ चुरा गुड।
मां मझलि भाभी से बुधिया देने को कहते हैं। माधुरी भाभी थोरी सी बुंदिया उसके रूप में डाल देती है। जिसे देखकर सिर्जन बोल उठा मझली बहुरानी क्या अपने मैके से आई हुई मिठाई भी इसी तरह हाथ खोल कर देती है। यह सुनते ही मजली भाभी कमरे में जाकर रोने लगती है।
चाची ने भी सिरिचन को किसी के मेहर ससुराल की बात नहीं करने की चेतावनी दी। मैं आकर कहीं सिर्चन अपने काम में लगे रहे किसी से मत कट्टी करने से क्या फायदा।
मानू जो पान लगा रही थी एक बार फिर चन को देते हुए कहीं सिर्चन दादा 5 लोग 5 रन के बाद बोलेंगे कान मत दो। सिरिचन मुस्कुराते हुए पाल मुंह में रख लिया। चाची सिर्चन को पान खाते देख अचरज में पड़ गई। सिर चने चाची को आवाज देख बोल उठा चाची जरा अपना वाला गम कौवा जर्दा तो खिलाना , बहुत दिन हो गए। यह सुनते ही चाची उसे खरी-खोटी सुनाते हुए कठोर मूछों सा बेलगाम सीलन हीन इत्यादि कर दी तथा चाची भी कहीं कि पैसा खर्च करने पर सैकड़ों चिक मिल जाएंगे इत्यादि
बस क्या था, मानव सिर्जन को ठेस लग गई। वह काम बंद करते हुए अपना औजार समय का और काम छोड़ चला गय।
शीतल पार्टी जिस पर वह बैठा है उसके स्वर्गीय पत्नी के हाथ का बना है। उसे छूकर वह कसम खाता है। यह काम अब नहीं करूंगा। श्रीचंद मैं बड़ी ही आत्मीयता थी इसका उदाहरण तब मिलता है जब मानू की विदाई हो गई स्टेशन पर गाड़ी खुलने वाली है फिर चंद और हुआ पीठ पर एक गठन लिए हफ्ते हुए गेट खोलने को कहता हैह। मनु दीदी को एक बार देख लो यह कहते हुए सिर्चन गट्ठर खोलकर कहता है दीदीय हमारे तरफ से शीतल पार्टी और कुश की आसानी है। मालू मोहर छाप वाली धोती के दाम देना चाहती है लेकिन सिर संजीव को दांत तले डालकर हाथ जोड़ लेता है तथा रुपया नहीं लेता है।
गाड़ी खुल गई। मानू रोने लगी। जब उसके गट्ठर को खोल देखा गया तो उसके कारीगरी और उसके प्रति हुए अमानवीय व्यवहार से रेनू जी हद प्रभाव जैसे हो गए।
प्रश्न अभ्यास
Q1 गांव के लोग सिरचन को क्या समझते थे?
उत्तर: - गांव के किसान सिरचन को कामचोर, बेकार का आदमी। धीरे-धीरे काम करने वाला नापतोल कर काम करने वाला मुफ्त में मजदूरी पाने वाला समझते थे।
Q 2 इस कहानी में आए हुए विभिन्न पात्रों के नाम लिखें?
उत्तर: -इस कहानी के नायक सिरचन के साथ-साथ रेनू जी रेनू जी की मां चाची मझली भाभी मानू दीदी इत्यादि पात्र हैं
Q 3 सिरचन को पान का बीड़ा किसने दिया था?
उत्तर: मानू दीदी ने
निष्कर्ष
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