जननायक कर्पूरी ठाकुर। Non Hindi 10th class।Hindi

 

जननायक कर्पूरी ठाकुर। Non Hindi 10th class।Hindi

पाठ का नाम: - जननायक कर्पूरी ठाकुर

पाठ के लेखक का नाम: - पा. पु. वी. स


                   पाठ का सारांश

गरीबों के मसीहा, विश्लेषण व्यक्ति के धनी जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1921 को पितोझिया गांव, जिला समस्तीपुर बिहार में हुआ था।

   इनके पिता गोकुल ठाकुर एवं मातरम दुलारी देवी थी। गरीब परिवार के बच्चों की तरह इनका वाले कल खेलकूद तथा पशुओं को चराने में बीता।

  6 वर्ष की आयु में 1927 ईस्वी में इनका विद्या आरंभ गांव के पाठशाला से हुआ था। पाठशाला से आने के बाद भी वे पशुओं को चलाते थे। चरवाही में ग्रामीण गीतों का उपयोग भी करते थे। गीत गाने के साथ डफली बजाने का भी शौक था जो विधायक बनने के बाद भी बना रहा।

1940 में मैट्रिक परीक्षा पास कर इंटर की पढ़ाई के लिए 50 - 60 किलोमीटर दूर दरभंगा में नामांकन करवाया। कुछ दूरी पैदल फिर रेल से  कॉलेज किया करते थे।

1942 में लिए परीक्षा उत्तीर्ण कर स्नातक में नामांकन करवाया लेकिन 1942 की अगस्त क्रांति से वह बच नहीं सके। क्रांति में सक्रिय भागीदारी लेने लगे।

उन्होंने अपने परिजनों को प्रतीक्षा करने के लिए अपने शब्दों में कहा था। हो सकता है कि विद्या अध्ययन के पश्चात मुझे कोई पद प्राप्त हो जाए मैं बहुत आराम और एस मौज में दिन बिताऊ। बड़ी कोठी घोड़ी गाड़ी नौकरी इत्यादि दिखावटी के सभी सामान मुझे उपलब्ध हो। प्रमुखता भी मुझ पर कुछ दवा है। भारत माता स्वतंत्रता की पीड़ा से कर रही है और मैं पढ़ाई जारी रखो यह मुमकिन नहीं। जब तक देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक और सुविधाजनक संपन्न स्वाधीन जीवन यापन करने का अवसर नहीं मिलेगा तब तक मुझे परिजनों को प्रतीक्षा करनी होगी।

  1942 में पढ़ाई छोड़ जयप्रकाश नारायण के आजाद दस्त के सदस्य बन गए। आर्थिक स्थिति से निजात पाने के लिए उन्होंने ₹30 के वेतन पर गांव के स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर नौकरी की। दिन में नौकरी और रात में आजाद दस्त के कार्य बखूबी निभाने लगे। 23 अक्टूबर 1943 को मध्य रात्रि में गिरफ्तार होकर पहले जेल यात्रा की। दरभंगा जेल पुणे भागलपुर जेल में भी कुछ दिनों तक जीवन बिताया।

   स्वतंत्रता के बाद 1952 में जब प्रथम आम चुनाव हुआ तो कर्पूरी ठाकुर ताजपुर विधानसभा क्षेत्र में सोशलिस्ट पार्टी की ओर भारी बहुमत से विधायक चुने गए तथा 1988 तक विधानसभा में लड़ते रहे ।

  इस दौरान के विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष, विरोधी दल के नेता, उप मुख्यमंत्री तथा दो बार प्रधानमंत्री बने।

जननायक को गरीब एवं प्रीति की सेवा में बड़ा आनंद आता था। एक बार 1957 की बात है जब गांव के दौरा कर रहे थे। उसी दौरान उन्होंने देखा कि एक आदमी है जो से पीड़ित है और मरने की स्थिति में है। अस्पताल 56 किलोमीटर दूर है। यातायात का कोई साधन नहीं। कर्पूरी जी ने उस पीड़ित को अपने कंधे पर उठाकर बढ़ते हुए चलकर अस्पताल पहुंचाया था। 1952 की ही बात है उन्हें सचिवालय में सामंती प्रथा की वह आ गई और वह इस प्रथम को अंत कर आम लोगों को लिफ्ट से आने जाने के लिए प्रयोग करवाया।

वे 1967 में उप मुख्यमंत्री, 1970 में और 1977 में मुख्यमंत्री पद को विभूषित किया। देवदत्त नीति के कारण 12 अगस्त, 1987 को विपक्ष के नेता के पद से उनको हटा दिया गया। 17 फरवरी, 1988 को हृदय घाट के कारण उनकी मृत्यु हो गई



                                     प्रश्न अभ्यास

Q1 कर्पूरी ठाकुर अपने परिजनों को प्रतीक्षा करने के लिए क्यों कहते हैं?

   उत्तर:-

      संवाददाता कर्पूरी ठाकुर के परिजनों की आकांक्षा होगी कि कर पूरी पढ़ लिखकर हमें गरीबी से निजात दिलाएगा । सारे सुख साधन प्राप्त होंगे। लेकिन जननायक के लिए संपूर्ण देश परिवार था।  देश की जनता को पराधीनता की दूरी में झगड़ा देखा जो उनके लिए असहनी था। इसलिए उन्होंने अपने अल्फाज में कहा था जब तक देश के प्रत्येक निवासी को सम्मानजनक और सुविधाजनक स्वाधीन जीवनयापन का अवसर न मिलेगा तब तक मेरे परिजनों को भी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

Q2 मैट्रिक के बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्हें कहां और किस प्रकार जाना पड़ता था?


उत्तर :-

  मैट्रिक परीक्षा पास कर उच्च शिक्षा के लिए दरभंगा के चंद्रधारी मिथिला कॉलेज में दाखिला पाया। जहां उनका प्रतिदिन पहुंचने के लिए कुछ दूर पैदल तथा 50 60 किलोमीटर दूर मुक्तरपुर से दरभंगा ट्रेन से जाना पड़ता था।

Q3 कर्पूरी ठाकुर को कौन-कौन कार्य करने में आनंद मिलता था?

 उत्तर:-

  कर्पूरी को चरवाहे करने ग्रामीण गीत गाने डफली बजाने तथा पीड़ितों की सेवा करने में आनंद आता था।

Q4 सचिवालय स्थित कार्यालय में पहले दिन उन्होंने कैसा दृश्य देखा तथा उसे पर उन्होंने क्या निर्णय लिया?

उत्तर:-

   1952 में जब विधायक बने थे तो कर्पूरी जी ने सचिवालय स्थित अपने कार्यालय के लिफ्ट पर लिखा देखा ओन्ली फॉर ऑफिसर यह देखकर सचिवालय में इस सामंती प्रथा को समाप्त कर आम लोगों के लिए लिफ्ट का प्रयोग करवाया।

निष्कर्ष


  दोस्तों अपने इस साइट पर मैं इसी तरह के एग्जाम की तैयारी करवाता हूं यदि आप 12th क्लास याद 10th क्लास में है तो बड़े ही आसानी से यहां ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन और सब्जेक्टिव क्वेश्चन को कवर कर सकते हैं धन्यवाद।








Post a Comment

Previous Post Next Post