Bharat ke Rashtrapati ka karyakal। president of India।

Bharat ke Rashtrapati ka karyakal। president of India।
GK and GS 


भारत के राष्ट्रपति की शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना करें?

भारत के राष्ट्रपति की शक्ति एवं कार्य निम्न है: –

कार्यपालिका संबंधी अधिकार:–राष्ट्रपति संघ शासन का प्रधान कार्यपालक है और देश की सैनिक शक्तियों का प्रधान नायक है। इसमें संघ की कार्यपालिका शक्ति निहित है। इस क्षेत्र में वह समस्त विषय है जिनके संबंध में संसद को विधि निर्माण का अधिकार है। भारत सरकार के कार्यपालिका संबंधी सारे का राष्ट्रपति के नाम पर ही होते हैं।

राष्ट्रपति के कार्यपालिका या शासन संबंधी अधिकार निम्न है।

देश की रक्षा का भार, सेना पर अधिकार, युद्ध की घोषणा या संधि करने का अधिकार, प्रधानमंत्री की नियुक्ति और उसके परामर्श से आने मंत्रियों की नियुक्ति का अधिकार, राजपूतों की नियुक्ति का अधिकार और विदेशी राजदूतों से प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार, राज्यपाल की नियुक्ति का अधिकार, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, महान्यायवादी, महालेखा परीक्षक, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों तथा निर्वाचन कमिश्नर की नियुक्ति का अधिकार।

(B) विधायन संबंधी अधिकार:–केंद्रीय सांसद लोकसभा, राज्यसभा तथा राष्ट्रपति को मिलकर बनी है । इस प्रकार राष्ट्रपति केंद्रीय संसद का एक अंग है। राष्ट्रपति विधायक संबंधी अधिकार निम्नलिखित है।

राष्ट्रपति संसद की बैठक बुलाता है, स्थगित करता है और लोकसभा को विघटित कर सकता है। वह राज्यसभा के 12 सदस्यों को मनोनीत करता है। धन विधेयक उसकी स्वीकृति के बाद ही संसद में उपस्थित हो सकते हैं। कोई भी विधेयक बिना उसकी अंतिम स्वीकृति के कानून नहीं बनता

धन विधेयक को छोड़कर वह किसी अन्य विधेयक को अस्वीकृत कर सकता है, लेकिन जब संसद पुणे इस विधेयक को पारित कर राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजती है, तब राष्ट्रपति उसे आज स्वीकृत नहीं कर सकता

(i) वह राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधायक पर अपनी स्वीकृति दे सकता है अथवा उसे अस्वीकृत कर सकता है

(ii) वह संसद के दोनों सदनों में भाषण दे सकता है, संदेश भेज सकता है।

(iii) विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।

(iv) संकटकालीन घोषणा द्वारा वह राज्य की विधानसभाओं की सारी शक्तियां संसद को सपोर्ट कर सकता है

(v) राज्यों के बीच व्यापार प्रतिबंध संबंधी विधेयक बिना राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के राज्य के विधान मंडल में प्रस्तुत नहीं किया जा सकते हैं।

(vi) समवर्ती सूची में वर्णित विषयों पर राज्यों द्वारा बनाए गए कानून यदि संसद से पारित किसी कानून के विरुद्ध है तो राष्ट्रपति किस विकृति के बिना वह वेद नहीं हो सकते

(vii) राष्ट्रपति कव्वाली क्षेत्र के लिए अधिनियम बन सकता है

(viii) वह लोकसभा के लिए दो एंग्लो इंडियां को मनोनीत कर सकता है

(C) वित्त संबंधी अधिकार: –आर्थिक क्षेत्र में भी राष्ट्रपति के अधिकार बहुत विस्तृत है । राष्ट्रपति के वित्त संबंधी अधिकार निम्न है

(i) प्रतिवर्ष संसद के समक्ष अनुमानित आय व्यय का विवरण राष्ट्रपति ही पेश करता है।

(ii) वह आए कर से प्राप्त धन को संघ तथा राज्य सरकारों में बनता है।

(iii) झूठ के निर्यात कर से प्राप्त धन राशि के कुछ भाग उसकी आज्ञा से असम बिहार उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल को मिलते हैं

(iv) राष्ट्रपति केंद्रीय तथा राज्य सरकारों के बीच अर्थ वितरण के लिए प्रति पांचवें वर्ष एक वित्त आयोग नियुक्त करेगा

(v) धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के बाद संसद में उपस्थित किया जाता है, अर्थात कर लगाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति से ही आरंभ होता है

(vi) संचित निधि से संबंधित विधेयक राष्ट्रपति के सिफारिश से ही पास होते हैं

(vii) असमिक निधि की व्यवस्था का अधिकार राष्ट्रपति को है।


(D) न्याय संबंधी अधिकार–संविधान के 72वें अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति को क्षमता प्रदान करने का अधिकार है। राष्ट्रपति के न्याय संबंधी अधिकार इस प्रकार है।

(i) सर्व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार

(ii) न्यायाधीश अपने त्यागपत्र राष्ट्रपति को देंगे

(iii) संसद के दोनों सदनों द्वारा प्रार्थना करने पर राष्ट्रपति न्यायाधीशों को पदचित कर सकता है

(iv) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद की असमिक रिक्त तथा के समय अंतरिम कल के लिए उसे न्यायालय के किसी न्यायाधीश की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को है।

(v) मुख्य न्यायाधीश द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के अवसरों तथा अनेक कर्मचारी का वेतन भत्ता अवकाश पेंशन इत्यादि से संबंध बनाए रखें नियमों पर राष्ट्रपति किस विकृति अनिवार्य है।

(vi) लोकगीत के कार्यों पर राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श ले सकता है

(vii)यदि राज्य के साथ की गई संधि या समझौते पर झगड़ा हो तो राष्ट्रपति उसे सर्वोच्च न्यायालय के पास परामर्श के लिए भेज सकता है 

(viii) राष्ट्रपति अपराधियों को समाधान दे सकता है, फांसी की सजा को माफ कर सकता है

 या आने सजा में बदल दे सकता है।


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