हां तो मेरे प्यारे दोस्तों आज के आर्टिकल में मैं आपको बताने वाला हूं भ्रष्टाचार के बारे में तो पूरे आर्टिकल को जरूर पढ़िएगा ताकि आप समझ सके कि भ्रष्टाचार क्या होता है और इसको कैसे रोका जा सकता है तो चलिए इसके बारे में विस्तार से पढ़ते हैं।
भ्रष्टाचार
भूमिका:–भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ भ्रष्ट आचरण। भ्रष्टाचारी व्यक्ति परिवार समाज के लिए कलंक होता है। आज के समय में भ्रष्टाचार वैश्विक समस्या बन गया है।
भ्रष्टाचार के कारण:–हमारी भोग लिप्स और ज्यादा से ज्यादा अर्थ संग्रह भ्रष्टाचार का मूल कारण है। ज्यादा से ज्यादा सुख संपत्ति की भूख सभी अनैतिक कार्य करने को मजबूर करती है। शिक्षा व्यापार राजनीति खेलकूद शासन व्यवस्था एवं शिक्षा कुछ भी अछूता नहीं रहा।
भ्रष्टाचार का स्वरूप:–विद्यार्थी परीक्षा में नकल करते हैं, कार्यालय के बापू घूस लेते हैं आल्हा अधिकारी गलत काम करते हैं। भ्रष्टाचार ही वर्तमान सभा में शिष्टाचार बन गया है।
भ्रष्टाचार के निवारण के उपाय:–भ्रष्टाचार से बचने के लिए नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना होगा स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज देश और विश्व की चिंता करनी होगी। भौतिक ऐश्वर्य और भोगवाद से हटकर समाज सेवा और मानव कल्याण की भावना जागृत करनी होगी। भौतिक ऐश्वर्य और भोगवाद से हमें पूरी तरह हटाना होगा। मानव कल्याण की भावना जागृत करनी होगी। हमें राष्ट्र के प्रति अपनी जवाब दे ही पैदा करनी होगी जब तक हमारे भीतर राष्ट्र प्रेम और मानव कल्याण का भाव नहीं पैदा होगा जब तक भ्रष्टाचार नहीं मिटेगा। धर्म में आस्था रखते हुए ईश्वर के प्रति जवाब दे ही समझनी होगी पाप पुण्य में अंतर करना होगा
निष्कर्ष
इस प्रकार समाज के लिए भ्रष्टाचार कलंक है। इस कलंक की मुक्ति के लिए आत्म अनुशासन, जिम्मेदारी और वफादारी का भाव रखना होगा। यह लड़ाई घर से शुरू करनी पड़ेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी रखनी होगी। भ्रष्टाचार से मुक्ति हमारा राष्ट्रीय संकल्प बनकर उभरे यही हमारी मंगल कामना है।